भाई दूज की मान्यता
भाई दूज की मान्यता
भैया दूज भारत का एक सबसे प्रमुख और महान त्योहार है जब बहने अपने प्रिय भाइयों के लिए लंबे समय तक जीवित और समृद्ध जीवन प्राप्त करने के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। बहने इस दिन भाईओं की पूजा करती है और टिका लगाती है। इसके साथ-साथ बहने भाइयों से उपहार लेती हैं। इसे गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भाई बीज, नेपाल में भाई टीका, बंगाल में भाउ-दीज, भाई फोटा और मणिपुर में निंगोल चकबा के रूप में मनाया जाता है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक के महीने (अक्टूबर और नवंबर के बीच) में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन आता है। सभी बहने सुबह बहुत जल्दी उठती हैं, पूजा करती हैं और अपने भाइयों के बेहतर भविष्य और स्वास्थ्य के लिए भगवान और देवी से प्रार्थना करती हैं। पूजा के अनुष्ठान के आयोजन के बाद उनके माथे पर टिका, दही और चावल डालकर टिके की रस्म को पूरा करती है। इस समारोह के बाद वे आरती करती हैं और खाने के लिए मिठाई देती हैं। अंत में उपहारों का आदान-प्रदान होता हैं और बड़ों के पैरों को छूकर आशीर्वाद लिया जाता हैं।
भाई दूज, भाई- बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है, जिसे यम द्वितीया या भैया दूज (Bhaiya Dooj) भी कहते हैं। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, जिसे कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है।
भाई दूज देश के बाहर भी मनाया जाता है। यह भाइयों और बहनों के बीच प्यार के बंधन को बढ़ाने के लिए रक्षा बंधन त्योहार की तरह है। इस शुभ दिन की बहनें अपने विशेष भाइयों की भलाई और कल्याण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों के प्रति प्रेम दिखाने और उनकी देखभाल करने के लिए अपनी ताकत के अनुसार उपहार पेश करते हैं।
भाई दूज 2017 हिन्दू पंचांग के अनुसार भाई दूज (Bhai Dooj) का त्यौहार, साल 2017 में 21अक्टूबर को मनाया जाएगा।
भाई दूज मुहूर्त
साल 2017 में भाई दूज के दिन तिलक लगाने का शुभ समय दिन में 01 बजकर 12 मिनट से लेकर 03 बजकर 27 मिनट तक का है।
भाई दूज पूजा विधि
भाई दूज के दिन बहनों को भाई के माथे पर टीका लगा उसकी लंबी उम्र की कामना करनी चाहिए। इस दिन सुबह पहले स्नान करके विष्णु और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके उपरांत भाई को तिलक लगाना चाहिए।
स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन पूजा की विधि (Bhai Dooj Puja Vidhi) कुछ इस तरह है। इस दिन भाई को बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। अगर बहन की शादी ना हुई हो तो उसके हाथों का बना भोजन करना चाहिए। अपनी सगी बहन न होने पर चाचा, भाई, मामा आदि की पुत्री अथवा पिता की बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। साथ ही भोजन करने के पश्चात बहन को गहने, वस्त्र आदि उपहार स्वरूप देना चाहिए। इस दिन यमुनाजी में स्नान का विशेष महत्व है।