साईं बाबा के 108 नाम - Sai Baba Ka 108 Naam

साईं बाबा के 108 नाम - Sai Baba Ka 108 Naam
  • साईंनाथ: प्रभु साई

  • लक्ष्मी नारायण: लक्ष्मी नारायण के चमत्कारी शक्ति वाले

  • कृष्णमशिवमारूतयादिरूप: भगवान कृष्ण, शिव, राम तथा अंजनेय का स्वरूप

  • शेषशायिने: आदि शेष पर सोने वाला

  • गोदावीरतटीशीलाधीवासी: गोदावरी के तट पर रहने वाले (सिरडी)

  • भक्तह्रदालय: भक्तों के दिल में वास करने वाले

  • सर्वह्रन्निलय: सबके मन में रहने वाले

  • भूतावासा: सभी प्राणियों में रहने वाले

  • भूतभविष्यदुभवाज्रित: भूत, भविष्य व वर्तमान का ज्ञान देने वाले

  • कालातीताय: समय से परे

  • काल: समय

  • कालकाल: मृत्यु के देवता का हत्यारा

  • कालदर्पदमन: मृत्यु का भय दूर करने वाले

  • मृत्युंजय: मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले

  • अमत्य्र: श्रेष्ठ मानव

  • मर्त्याभयप्रद: मनुष्य को मुक्ति देने वाले

  • जिवाधारा: जीवन का समर्थन करने वाले

  • सर्वाधारा: समस्त क्रिया का समर्थन करने वाले

  • भक्तावनसमर्थ: पूजनीय

  • भक्तावनप्रतिज्ञाय: अपने भक्तों की रक्षा का वचन निभाने वाले

  • अन्नवसत्रदाय: वस्त्र व अन्न देने वाले

  • आरोग्यक्षेमदाय: स्वास्थ्य और आराम देने वाले

  • धनमाङ्गल्यप्रदाय: भलाई और स्वास्थ्य का अनुदान करने वाले

  • ऋद्धिसिद्धिदाय: बुद्धि और शक्ति देने वाले

  • पुत्रमित्रकलत्रबन्धुदाय: पुत्र, मित्र आदि का सुख देने वाले

  • योगक्षेमवहाय: मानुष्य की रक्षा करने वाले

  • आपदबान्धवाय: समस्या के समय भक्तों के साथ रहने वाले

  • मार्गबन्धवे: जीवन का मार्ग- दर्शन करने वाले

  • भक्तिमुक्तिस्वर्गापवर्गदाय: धन, अनन्त परमानंद और अनन्त राज्य (स्वर्ग) देने वाले

  • प्रिय: भक्तों के प्रिय

  • प्रीतिवर्द्धनाय: भगवान के प्रति भक्ति बढ़ाने वाले

  • अन्तर्यामी: पवित्र आत्मा

  • सच्चिदात्मने: ईश्वरीय सत्य

  • नित्यानन्द: हमेशा शाश्वत आनंद में डूबे रहने वाले

  • परमसुखदाय: असीम सुख

  • परमेश्वर: प्रमुख देव

  • परब्रह्म: परम ब्रह्म

  • परमात्मा: दिव्य आत्मा

  • ज्ञानस्वरूपी: बुद्धिमान व्यक्ति

  • जगतपिता: ब्रह्मांड के पिता

  • भक्तानां मातृ दातृ पितामहाय : सभी भक्तों के लिए

  • भक्ताभयप्रदाय: सभी भक्तों को शरण में लेने वाले

  • भक्तपराधीनाय: अपने भक्तों का सारंक्षण करने वाले

  • भक्तानुग्रहकातराय: अपने भक्तों को आशीर्वाद देने वाले

  • शरणागतवत्सलाय: भक्तों को शरण में लेने वाले

  • भक्तिशक्तिप्रदाय: अपने भक्तों को ताकत देने वाले

  • ज्ञानवैराग्यप्रदाय: बुद्धि और त्याग करने वाले

  • प्रेमप्रदाय: अपने सभी भक्तों पर प्रेम की नि: स्वार्थ वर्षा

  • संशयह्रदय दौर्बल्यपापकर्म वासनाक्षयकराय : पाप और प्रवृत्ति की कमजोरियों को दूर करने वाले

  • ह्रदयग्रन्थिभेदकाय: दिल के अनुलग्नक नष्ट कर देने वाले

  • कर्मध्वंसिने: पापों व बुराई नष्ट करने वाले

  • शुद्ध-सत्वस्थिताय: शुद्ध, सच्चाई और अच्छाई

  • गुनातीतगुणात्मने: सभी अच्छे गुणों को पास रखने वाले

  • अनन्तकल्याण गुणाय: असीम अच्छे गुण वाले

  • अमितपराक्रमाय: अथाह शौर्य के स्वामी

  • जयिने: अजय

  • दुर्धर्षाक्षोभ्याय: अपने भक्तों के सभी आपदाओं को नष्ट करने वाले

  • अपराजिताय: सदैव वियजी रहने वाले

  • त्रिलोकेषु अविघातगतये: स्वतंत्रा देने वाले

  • अशक्य-रहीताय: सब कुछ पूरी तरह निष्पादित करने वाले

  • सर्वशक्तिमूर्तये: सभी शक्तियों की मूर्ति

  • सुरूपसुन्दराय: सुंदर

  • सुलोचनाय: आकर्षक सुंदर और प्रभावशाली आंखें

  • बहुरूप विश्वमूर्तये: अनेक रूप वाले

  • अरूपाव्यक्ताय: अमूर्त

  • अचिन्त्याय: सोचा से परे

  • सूक्ष्माय: छोटा रूप

  • सर्वान्तर्यामिणे: सम्पूर्ण विश्व

  • मनोवागतीताय: शब्द व दुनिया से परे

  • प्रेममूर्तये: प्यार का अवतार

  • सुलभदुर्लभाय: जिसको पाना आसान भी और कठिन

  • असहायसहायाय: भक्तों की आस्था पर निर्भर रहने वाले

  • अनाथनाथदीनबंधवे: अनाथों के दयालु प्रभु

  • सर्वभारभृते: अपने भक्तों की रक्षा का बोझ उठाने वाले

  • अकर्मानेककर्मसुकर्मिणे: महसूस न होने वाले

  • पुण्यश्रवणकीर्तनाय: सुनने योग्य

  • तीर्थाय: पवित्र नदियों का स्वरूप

  • वासुदेव: कृष्णा का स्वरूप

  • सतां गतये: सबको शरण में रखने वाले

  • सत्परायण: अच्छे गुण वाले

  • लोकनाथाय: विश्व के स्वामी

  • पावनानघाय: पवित्र रूप

  • अमृतांशवे: दिव्य अमृत

  • भास्करप्रभाय: सूर्य की तरह चमकने वाले

  • ब्रह्मचर्यतपश्चर्यादिसुव्रताय: ब्रह्मचारी की तपस्या के अनुसार

  • सत्यधर्मपरायणाय: सत्य और धर्म का प्रतीक

  • सिद्धेश्वराय: समस्त आठ सिद्धि के स्वामी

  • सिद्धसंकल्पाय: पूर्ण रूप से इच्छा का सम्मान करने वाले

  • योगेश्वराय: सभी योगियों या संन्यासियों के मस्तक के समान

  • भगवते: ब्रह्मांड की प्रमुख प्रभु

  • भक्तवत्सलाय: अपने भक्तों के पराधीन

  • सत्पुरुषाय: अनन्त, अव्यक्त व उत्तम पुरुष

  • पुरुषोत्तमाय: उच्चतम

  • सत्यतत्वबोधकाय: सत्य और वास्तविकता की सही सिद्धांतों का उपदेश देने वाले

  • कामादिशड्वैरिध्वंसिने: इच्छा, क्रोध, लोभ, घृणा, शान, और वासना का नाश करने वाले

  • समसर्वमतसम्मताय: सहिष्णु और सभी के प्रति समान

  • दक्षिणामूर्तये: भगवान शिव

  • वेंकटेशरमणाय: भगवान विष्णु

  • अद्भूतानन्तचर्याय: अनंत, अद्भुत कर्म (चमत्कार) करने वाले

  • प्रपन्नार्तिहराय: समस्याओं का नाश करने वाले

  • संसारसर्वदु: ख़क्षयकराय: सभी दुखों का नाश करने वाले

  • सर्ववित्सर्वतोमुखाय:

  • सर्वान्तर्बहि: स्थिताय: सभी मनुष्य में मौजूद रहने वाले

  • सर्वमंगलकराय: भक्तों के कल्याण के शुभ करने वाले

  • सर्वाभीष्टप्रदाय: भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करने वाले

  • समरससन्मार्गस्थापनाय: एकता का संदेश देने वाले

  • समर्थसद्गुरुसाईनाथाय: श्री सद्गुरु साईंनाथ