जानिए इंद्रजाल के रहस्य को indrajal ka rahasya

जानिए इंद्रजाल के रहस्य को  indrajal ka rahasya

माना जाता है कि गुरु दत्तात्रे भी इन्द्रजाल के जनक थे। चाणक्‍य ने अपने अर्थशास्‍त्र में एक बड़ा भाग विद्या पर लिखा है। सोमेश्‍वर के मानसोल्‍लास में भी इन्द्रजाल का उल्लेख मिलता है। उड़ीसा के राजा प्रताप रुद्रदेव ने 'कौतुक चिंतामणि' नाम से एक ग्रंथ लिखा है जिसमें इसी तरह की विद्याओं के बारे में उल्लेख मिलता है। बाजार में कौतुक रत्‍नभांडागार, आसाम और बंगाल का जादू, मिस्र का जादू, यूनान का जादू नाम से कई किताबें मिल जाएगी, लेकिन सभी किताबें इन्द्रजाल से ही प्रेरित हैं।

असल में इंद्रजाल हिन्दू और बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण विज्ञानं है जो आधुनिक विज्ञानं में क्वांटम स्टेट्स के नाम से जाना जाता है। इंद्रजाल एक जाल है जो हीरों से बना है, इस जाल में अनिमित हिरे जड़े है, हर हीरा एक आईने के तरह है जिसमे हर दूसरे हिरे की प्रतिमा प्रतिबिंबित है. इसका मतलब है अगर कोई भी हिरे में कोई भी बदलाव आता है तो उसका प्रतिबिम्ब हर दूसरे हिरे में आप देख सखेंगे।

क्वांटम स्टेटस का विषय भी कुछ इसी प्रकार का है। विश्व का हर एक अणु अन्य सभी अणु से सम्बंधित है और जो यह विज्ञानं जनता है वह व्यक्ति को बहोत साडी सिद्धिया प्राप्त होती है।

लेकिन यह इंद्र भगवन का एक अस्त्र भी है। इस जाल से भगवान असुरो को बंधित करते थे। यह एक माया है , जो इस इंद्रजाल में पकड़ा जाता वह उसकी मायामें पूरी तरह बंध जाता था।

Indra’s net is in fact an ancient precursor to recent research in the hard sciences, where physicists have proven Bell’s Theorem – where events happening in one place can have an instantaneous impact on other particles that are not connected in any way to them in space. Therefore atoms (just like us) are not discrete entities, islands unto themselves, but part of a field of reality where everything is interwined with everything else. This is the A-field (or Unified Field) that network theorist Ervin Laszlo and others think might well be the ‘theory of everything’ that will at last connect Quantum Theory with Einstein’s Theory of Relativity. This is also remarkably similar to Derrida’s insight that ‘texts’ (books, films, political beliefs, policies and humble words) are never fully ‘present’ in themselves – they always refer, infinitely, to other ‘texts’. [source]

पृथ्वी पर कुछ व्यक्तियों ने इंद्रजाल विद्या को ज्यादा प्रसिद्द किया। भगवन दत्तात्रेय, नाथ सम्प्रदायी, बौद्ध भिक्कु इत्यादि यो ने इस विषय पर बहुत लिखा भी और उसका प्रयोग भो किया। इंद्रजाल बाकि सिद्धयो के तरह आध्यात्मिक स्वरुप का नहीं है बल्कि आधुनिक विज्ञान की तरह एक तंत्र है। इसमें सम्मोहन होता है, बिना छुहे मिलों दूर चीजों के साथ खिलवाड़ की जा सकती है तथा लोगो को भ्रमित भी किया जा सकता है।

यह विद्या कैसे प्राप्त की जा सकती है इसकी जानकारी सिर्फ सिद्ध गुरुओ को है और सिर्फ गुरुहि इसे आपको सीखा सकते है। कोई किताब पढके आप इसे सिख नहीं सकते।