Durga Mantra || माँ दुर्गा मंत्र

Durga Mantra || माँ दुर्गा मंत्र

मां दुर्गा के स्वरूपों का स्मरण करते हुए निम्न मंत्रों का जप  प्रतिदिन किया जाए तो अधिक से अधिक  जीवन में मनचाहे फल  की प्राप्ति होगी ।  दुर्गा माँ शक्ति है । जीवन में उपयुक्त अभी इच्छाओं  को पूरा करने के लिए माँ दुर्गा का सिद्ध मंत्र  –मंत्र

" ॐ ह्रींग डुंग दुर्गायै नमः " 

नवार्ण मंत्र  'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै'

1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।

भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते ॥

हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।

सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥

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जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥

सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।

गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते ॥

“दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:

स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या

सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥”

( पुरुषों के लिए )

ॐ कात्यायनि महामाये महायेगिन्यधीश्वरि ।

नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥

पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम् ।

तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ।।

" हे गौरी शंकरधंगी ! यथा तवं शंकरप्रिया,

तथा मां कुरु कल्याणी ! कान्तकान्तम् सुदुर्लभं "

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।

घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||

देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |

तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||

इसके अतिरिक्त मां दुर्गा के नौ शक्ति रुपी देवियों के बीज मंत्रों के पाठ करने  से नौ की नौ देवियां स्वतः ही प्रसन्न होकर कृपा बरसाने  लगती हैं ।

नौ देवियों के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र

शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम: ।

ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: ।

चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम: ।

कूष्मांडा :  ऐं ह्री देव्यै नम: ।

स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: ।

कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: ।

कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: ।

महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: ।

सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ।

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