शनिदेव के यह 5 मंत्र, करेंगे हर कष्टों का अंत- Shani Dev Mantras
यूं तो शनि दोष निवारण के लिए नित्य भगवान् शिव के पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का जप करना चाहिए तथा महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्' का जप भी शुभ होता है।
शनि चरित्र में कर्म की प्रधानता है। शनि उपासना कर्म और कर्तव्य के प्रति दृढ़ संकल्पित व प्रेरित करती है। शास्त्रों के मुताबिक शनि बुरे कर्म करने पर ही प्राणियों को अनेक तरह से दण्डित करते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से शनि दशा, शनि की चाल या शनि की क्रूर दृष्टि के रूप में जानी जाती है।
माना जाता है कि सांसारिक जीवन में शनि का यह दण्ड शरीर, मन या आर्थिक परेशानियों के रूप में मिलता है। चूंकि हर प्राणी कर्म व कर्तव्यों से किसी न किसी रूप में जुड़ा होता है,
इसलिए जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए पैदा हुई हित या स्वार्थ पूर्ति की भावना से जाने-अनजाने मन, विचार व कर्म दोषों का भागी बनता है।
धर्म की दृष्टि से ऐसे दोषों का शमन प्रायश्चित व क्षमा द्वारा संभव है।
शनिवार को शनि पूजा कर क्षमा प्रार्थना का विशेष मंत्र बोलें – शनिवार को स्नान के बाद यथासंभव काले वस्त्र पहनकर शनि मंदिर में शनि देव का ध्यान कर प्रतिमा को पवित्र जल, तिल या सरसों का तेल, काला वस्त्र, अक्षत, फूल, नैवेद्य अर्पित करें।
सरल शनि मंत्रों जैसे ‘ॐ शं शनिश्चराय नम:’ शनि चालीसा या शनि स्त्रोत का पाठ करें। – मंत्र ध्यान व पूजा के बाद शनिदेव की आरती कर नीचे लिखे मंत्र से जाने-अनजाने हुए बुरे कर्म व विचार के लिये क्षमा मांग आने वाले वक्त को सुखद व सफल बनाने की कामना करें -
शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र है । शनि देव को जज माना जाता है । मनुष्य के अछे बुरे काम का फल शनिदेव ही देते है । शनिदेव को प्रसन करने के लिए शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाये और शनिदेव जी के मंत्र का जाप करे ।
1.शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
2.शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र - ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
3.शनि देव का एकाक्षरी मंत्र - ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
4.शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।